याद
हम आज हैं कल नहीं
कल सिर्फ बातें रह जाएंगी
वो हमें यह कहकर याद करेंगे कि
बात बात पर हंसा करती थी
मुस्कुराने की आदत सी थी उसे
इसलिए हम सब के दिल में बसा करती थी ।
ठहराव तो था ही नहीं उसमें
हर वक्त कुछ ना कुछ कहती रहती थी
नदी सा स्वभाव था उसमें
हर वक्त बहती रहती थी ।
वह कहेंगे कि बड़ी नाजुक थी
ज़रा ज़रा सा दर्द उसे रुला दिया करता था
थोड़ा सा प्यार और दुलार ही
उसे सुकून की नींद सुला दिया करता था ।
छोटी-छोटी बातों में खुश हो जाती थी
खुशनुमा माहौल होता था जब भी वो आती थी
उसका जाना कुछ अजीब सा हो गया
जैसे हंसते-हंसते कोई बच्चा अचानक सो गया ।
साथ चलते-चलते न जाने किस तरफ मुड़ गई
पिंजरा तोड़ के वह खुले आसमान में उड़ गई ।
इंसान ना होती तो शायद परिंदा होती
उड़ने दिया होता अगर उसे
तो आज वो जिंदा होती ।