Uncategorized

खुदगर्ज़ी नहीं

ख़ुद के बारे में सोचना खुदगर्ज़ी नहीं होती
कभी-कभी सबकी हां मे ,मेरी मर्जी नहीं होती

जो मुझे पसंद है ,उसी में रहना मंज़ूर है
अपने दिल की बात भी मुझे सुनना ज़रूर है

हां अच्छा लगता है मुझे खुल कर हंसना
जो नापसंद हो, उस बात को खुद से नहीं है कसना

नहीं माननी वो बात जिस पर मुझे विश्वास नहीं है , अपनी खुशी खुद ही ढूंढनी है,किसी और से कोई आस नहीं है

अच्छा लगता है मुझे अपनी आजादी में जीना
बोलती बहुत हूं ,नहीं आता मुझे अपने होठों को सीना

कुछ कर लूं अपनी मर्जी से, ये भी कभी मन करता है
दिल इतना मज़बूत नहीं है मेरा, कभी-कभी ये भी डरता है

आंसुओं पर काबू नहीं है ,ये अक्सर बह जाते हैं
मन में छुपी बात ये अपनी जुबानी कह जाते हैं

दुखों को घेर ले जो ,वो जिंदगी मुझे कुबूल नहीं है
खुलकर मुस्कुराना है ,जीने का एक यही उसूल सही है

पंख ना सही पर फिर भी उड़ने को जी करता है
क्यों छुपाऊं बातों को जब कह कर ही मन भरता है

जो बात दिल से निकलती है वो फर्जी नहीं होती
और खुद के बारे में सोचना खुदगर्जी नहीं होती

जी भर के जीना ,हर वक्त मुस्कुराना ,खुद से प्यार करना, और खुद को बेहतर कहने के लिए, देनी कोई अर्जी नहीं होती
खुद के बारे में सोचना खुदगर्ज़ी नहीं होती

Author

info@thesoulpoetry.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *