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ख़त्म होता जाएगा तू सोचेगा जितना

सोचोगे जितना उतना ही खत्म होते जाओगे
वो बात जो ज़हन से निकलती नहीं तुम्हारे
उसे जितना कुरेदोगे
उतने ही ज़ख्म करते जाओगे

बात वो कुछ शब्दों का जाल है
सोच कर जिसे तू हुआ इतना बेहाल है
वो बात जिस की परिभाषा तू ढूंढ रहा है
दरअसल उस बात का कोई सार ही नहीं है
तू मत जोड़ खुद से वो बात
जिसका तुझ तक कोई तार ही नहीं है
बेमतलब बेवजह खुद को कोसेगा कितना
ख़त्म होता जाएगा तू सोचेगा जितना

वो बात दिल को चुभी होगी बहुत माना
पर क्या तूने खुद को बस इतना ही है जाना
खुद पर यकीन तू क्यों नहीं कर पा रहा है
किसी और का कहा तुझे क्यू इतना सता रहा है
तू बस सुन वही जो तेरा दिल तुझे बता रहा है
दो बातों का मेल तुझे रोकेगा कितना
ख़त्म होता जाएगा तू सोचेगा जितना

सोच कर कुछ बातें तू कभी कभी मुस्कुरा भी देता है
कुछ अच्छे लोग भी हैं जिंदगी में चेहरा यह बता भी देता है
तू चुन बस उन्हीं को जो तेरी खुशी चुनना चाहते हैं
तू छोड़ उन बातों को जो तेरे आंसू बनना चाहते हैं

बातों का तीर जो दिल को छलनी कर दे
हटा दे उसका बोझ तू अपने सर से
मैली उन बातों की आस्तीनों को तू निचोड़ेगा कितना
खत्म होता जाएगा तू सोचेगा जितना

Author

info@thesoulpoetry.com

Comments

Suyash Mishra
October 1, 2020 at 3:56 pm

Nice..



October 5, 2020 at 3:57 pm

Lovely poetry…..if anyone reads this they sure will get inspired like me….such a beautiful and inspiring poetry..welcome and …keep it up !! thanks Sonalika 👌👌😊😊



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